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narmadeshwar with jaladhari – नर्मदेश्वर शिवलिंग माँ नर्मदा के तल से निकला एक पवित्र पत्थर है| जिसे हम शिवलिंग के रूप में पूजते है| नर्मदेश्वर शिवलिंग और जलाधारी माता पार्वती और भोलेनाथ का साक्षात् स्वरूप है| जिसमे ब्रहमांड की समस्त उर्जा समाहित है| श्रष्टि का अंत भी शिव और शक्ति से ही है| और प्रारम्भ भी शिव और शक्ति है|
जिस प्रकार पुरुष और प्रकृति एक दुसरे के पूरक है | उसी प्रकार शिव और शक्ति दोनों एक दुसरे के पूरक है | जिन्हें जगत के माता पिता कहा जाता है| जहा भोलाथ का वास रहता है वहा माता पार्वती भी विराजमान रहती है क्युकी शक्ति के बिना शिव का कोई अस्तित्व नही है| शक्ति के बिना शिव अधूरे है|
शिवलिंग को जलधारी के बिना स्थापित भी नहीं किया जा सकता है| क्युकी शिव की शक्ति तो माता पार्वती है इस लिए सभी जगह शिवलिंग की स्थापना के लिए जलधारी अवश्यक मानी गयी है| जिस प्रकार शिवलिंग को माँ नर्मदा के पत्थर से बनाते है| उसी प्रकार जलाधारी को भी माँ नर्मदा से निकले पत्थरों से निर्मित किया जाता है |
जिसे नर्मदा जलाधारी कहते है यह मल्टी कलर की होती है |जलाधारी में मार्बल की जलाधारी भी लोग स्थापित करते है| जो जयपुर में निर्मित होती है| हम किसी भी जलाधारी पर शिवलिंग की सथापना कर सकते है| कोई ताम्बे या पीतल की जलधारी पर भी शिवलिंग स्थापित करते है| हम किसी भी आकार और किसी भी धातु से बनी जलाधारी पर शिवलिंग की सथापना कर सकते है |
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शिवलिंग और जलाहरी की स्थापना कैसे करे –
घर में शिवलिंग और जलाहरी की स्थापना साथ में ही होती है क्युकी जलाहरी (वेदी) के बिना तो शिवलिंग अधूरी है| और जलाहरी के बिना शिवलिंग की पूजा भी अधूरी है| शिवलिंग और वेदी पर ही स्थापित किये जाते है| नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापन में किसी भी प्रकार की प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नही होती है| क्युकी नर्मदेश्वर शिवलिंग स्वयंभू होते है |
नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना के पूर्व स्नान कर ले | फिर शिवलिंग को जिस स्थान पर रखना है वह पर साफ सफाई करे
शिवलिंग को किसी पड़े पात्र में रख कर जल ,दूध,दही और पंचामृत से अभिषेक करे| फिर शिवलिंग को जिस भी स्थान पर स्थापित करना है वह पर रख दे | फिर शिवलिंग के ऊपर बेलपत्र ,चन्दन ,चावल और फूलो को अर्पण करे और ॐ नमः शिवाय का जप करे |ध्यान रखे की वेदी का मुख हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही होना|